The smart Trick of Shodashi That Nobody is Discussing

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा

दक्षाभिर्वशिनी-मुखाभिरभितो वाग्-देवताभिर्युताम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥

चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥

पुष्पाधिवास विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि

Shodashi’s mantra aids devotees release previous grudges, discomfort, and negativity. click here By chanting this mantra, people cultivate forgiveness and emotional launch, advertising and marketing satisfaction and the ability to go forward with grace and acceptance.

The Tale is usually a cautionary tale of the power of want as well as necessity to establish discrimination by meditation and following the dharma, as we progress in our spiritual path.

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥

Goddess Shodashi is often called Lalita and Rajarajeshwari which implies "the one who performs" and "queen of queens" respectively.

॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥

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